Monday, April 25, 2011

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कभी  उनसे  नजरें   मिला  के  कहा
कभी  उनसे  नजरें   छिपा  के कहा  
फिर भी जो कहना था कह न सका
हर  वक़्त  मै  बातें  बना  के  कहा !!




Sunday, April 24, 2011

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ये अलग बात है कि मै तुम्हे कुछ बता न सका !
छुपा  के   भी  मगर  तुमसे  कुछ छुपा न सका !!
पाल  रखी  है  दहशत  आशियाने  में  मैंने
क्यूँ  पीता हूँ  , ये  एहसास तुम्हे पिला न सका !!

        

Saturday, April 23, 2011

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तुमसे मिलने को क्या क्या न बहाना रहा !
तू     मेरी   ,  मै     तेरा    निशाना   रहा !!
दुनिया  में   मिटती  चीजें  बहुत  हैं  मगर
तू    दीवानी     रही  ,  मै   दीवाना   रहा !!





                           

Friday, April 22, 2011

मैं और बाबा जी

                    
               

   एक दिन मै और मेरे बाबा जी आम के बागीचे में बैठे हुए 
थे ,कुछ बातचीत के बाद मैंने उन्हें एक शायरी सुनाई-

मेरा  जमीर   तो  बेइमा   हो  जाता है
जब कोई   सामने   से गुजर जाता है !
अरे , बेइमा  तो  इसी उम्र में होंगे न
कुछ उम्र बाद तो बुढ़ापा आ जाता है !!

      
    इस शायरी को सुनने के बाद मेरे बाबा जी के चेहरे की जैसे 
रौनक ही चली गयी ;फिर मैंने बाबा जी को एक दूसरी शायरी सुनाई-
 
जवानी  में  क्या  नही होता है
जमीर  जमी  तले   होता   है !
कुछ उम्र और हो जाय तो क्या
इश्क  बुढ़ापे  में भी  होता है !!

 
          ये सुनने के बाद बाबा जी खिलखिला से उठे I तब मै समझा कि
बुड्ढे हैं पर दुपट्टों से प्यार , कुछ  जवाँ  जज्बात  तो हो ही जाते हैं II 

Sunday, April 17, 2011

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ग़मों  से  निकला  इक  पौधा  है  जिन्दगी  का !
उजड़ा   घरौंदा   इक  घरौंदा  है  जिन्दगी  का !!
हमको मालूम है कि आशिकी का जाम मँहगा है
मंहगाई  भी मगर  इक  सौदा  है  जिन्दगी का !!


Saturday, April 16, 2011

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पैकर--हुस्न  का  जाल बना है तेरा !
हम जैसों से ही  भौकाल बना है तेरा !!
मिट जाते हैं गर महीने हम
तो मिट जायेगा जो साल बना है तेरा !!

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हमको मालूम है  ये इश्क तेरे स्वाद के सिवा कुछ नहीं !
जो पड़े तेरी  फिकर  में  वो बर्बाद  के सिवा कुछ नहीं !!
अब   कोई  डर  न  रहा  लुटने  का  मुझे ,
मेरे पास शायरी ,शराब ' तेरी याद के सिवा कुछ नहीं..!!